सर्प मित्र द्वारिका कोल सांपों के संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाने में जुटे हुए हैं। यह संगठन न केवल सांपों की सुरक्षा के लिए काम कर रहा है, बल्कि स्थानीय समुदायों को भी इस दिशा में शिक्षित कर रहा है। द्वारिका कोल अपने क्षेत्र में सांपों को पकड़ने और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर छोड़ने का कार्य करते हैं, जिससे सांपों की जान बचाई जा सके।
सांपों के प्रति जागरूकता
द्वारिका कोल का मानना है कि सांपों के प्रति लोगों में डर और अविश्वास को कम करना आवश्यक है। वे स्थानीय निवासियों को समझाते हैं कि सांपों का पर्यावरण में एक महत्वपूर्ण स्थान है और इन्हें मारना नहीं चाहिए। इसके लिए वे घर-घर जाकर लोगों को सांपों के बारे में जानकारी देते हैं और उन्हें सुरक्षित तरीके से पकड़ने का तरीका सिखाते हैं।
सांपों की रेस्क्यू प्रक्रिया
हाल ही में, द्वारिका ने दो कोबरा सांपों को रेस्क्यू किया और उन्हें जंगल में छोड़ दिया। उन्होंने बताया कि इस तरह के प्रयासों से न केवल सांपों की जान बचती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित होता है कि वे अपने प्राकृतिक आवास में वापस लौट सकें। यह प्रक्रिया सांपों के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो उनके जीवन चक्र को बनाए रखने में मदद करता है।
सांपों के संरक्षण की आवश्यकता
भारत में सांपों के प्रति कई सांस्कृतिक मान्यताएँ हैं, जो उनके संरक्षण में सहायक होती हैं। कई लोग मानते हैं कि सांपों को मारना पाप है, और इस तरह की मान्यताएँ सांपों की प्रजातियों को सुरक्षित रखने में मदद करती हैं। लेकिन आधुनिक समय में, शहरीकरण और विकास के कारण इन मान्यताओं में बदलाव आ रहा है।
निष्कर्ष
द्वारिका कोल जैसे सर्प मित्रों की मेहनत से सांपों के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। यह न केवल सांपों के लिए, बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए लाभकारी है। सांपों के संरक्षण के लिए ऐसे प्रयासों की आवश्यकता है ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इन अद्भुत जीवों को देख सकें और उनके महत्व को समझ सकें।