पहाड़ी कोरवा युवक दुखुराम की ज़िंदगी में आई नई रोशनी!
पहाड़ी कोरवा युवक दुखुराम की ज़िंदगी में आई नई रोशनी!

रायपुर: दुखुराम, एक पहाड़ी कोरवा युवक, जिसकी ज़िंदगी पहले जंगलों में महुआ, चार और तेंदूपत्ता इकट्ठा करने में गुज़रती थी, आज एक नई पहचान बना चुका है। छत्तीसगढ़ सरकार ने उसे सहायक शिक्षक की नौकरी देकर उसकी ज़िंदगी में एक नई रोशनी भर दी है!

जंगल से क्लासरूम तक:

दुखुराम कोरबा जिले के ग्राम पेण्ड्रीडीह में रहता है। पहले उसे रोजगार के लिए जंगलों में जाना पड़ता था। भूख मिटाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती थी। एक सामान्य जीवन जीना बस एक कल्पना थी। लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने उसके जीवन में बदलाव लाकर उसे कोरबा मुख्यालय के सुदूरवर्ती क्षेत्र श्यांग-अमलडीहा से लगे ग्राम आमाडांड के शासकीय प्राथमिक शाला में सहायक शिक्षक की नौकरी देकर उसकी कल्पना को हकीकत में बदल दिया!

दुखुराम बताते हैं कि शुरू में नौकरी करने में थोड़ी कठिनाई हुई क्योंकि उसे जंगल में रहने की आदत थी। लेकिन धीरे-धीरे स्कूल का माहौल उसे पसंद आने लगा और वो अब अपने बच्चों को पढ़ाने में मशगूल है।

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सरकार की पहल:

छत्तीसगढ़ सरकार आदिवासी विकास विभाग के माध्यम से विशेष पिछड़ी जनजाति परिवारों के लोगों को उनकी योग्यता के आधार पर सरकारी नौकरी देकर उनका जीवन स्तर बेहतर बनाने का प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर कोरबा जिले में बड़ी संख्या में पीवीटीजी (विशेष पिछड़ी जनजाति) के लोगों को डीएमएफ (जिला खनिज फाउंडेशन) के माध्यम से स्कूल और अस्पताल में रोजगार दिया जा रहा है।

दुखुराम के जीवन में आया बदलाव:

नौकरी मिलने से दुखुराम की ज़िंदगी में एक क्रांति आ गई है। उसका पहनावा, रहन-सहन, और व्यवहार सब कुछ बदल गया है। अब वो समय पर वेतन पाता है, और अपने बच्चों का भविष्य बेहतर बनाने के लिए बचत भी करता है। दुखुराम ने बताया कि उसे मोटर साइकिल चलाने और मोबाइल का शौक था, जो अब पूरा हो गया है। वो जल्द ही घर में टीवी और अन्य ज़रूरी सामान भी खरीदने वाला है।

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दुखुराम की पत्नी जून बाई भी अपने जीवन में आए बदलाव से खुश हैं। वो अब जंगल नहीं जाती हैं और अपने परिवार और बच्चों के साथ खुशहाल जीवन जी रही हैं।

दुखुराम की कहानी हमें याद दिलाती है कि सरकारी योजनाओं से लोगों की ज़िंदगी में कितना बड़ा बदलाव आ सकता है। ये कहानी हमें उम्मीद दिलाती है कि हमारे समाज में हर व्यक्ति को आगे बढ़ने का मौका मिलना चाहिए।

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