निकाय चुनाव: भाजपा के बड़े नेता 4 धड़ों में बंटे, सामंजस्य बनाया जाएगा- डॉ.रमन सिंह
निकाय चुनाव: भाजपा के बड़े नेता 4 धड़ों में बंटे, सामंजस्य बनाया जाएगा- डॉ.रमन सिंह

भिलाई । दुर्ग जिले में भाजपा के बड़े नेता 4 धड़ों में बंटे हैं। उनके बीच वर्चस्व को लेकर आपसी खींचतान है। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने भी यह बात अब स्वीकार कर ली है। उन्होंने कहा कि बड़े नेताओं में सामंजस्य बनाया जाएगा। यह काम चुनाव प्रभारी द्वारी किया जा रहा है। निकाय चुनाव में भाजपा सभी जगह जीतेगी। इसके लिए बैठकें की जा रही हैं। डॉ. सिंह रविवार रात सेक्टर 2 निवासी अशोक शर्मा के यहां वैवाहिक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे, जहां उन्होंने भास्कर से विशेष बातचीत की। निकाय चुनाव की तैयारी को लेकर डॉ. सिंह ने कहा कि सरकार की तीन साल की विफलता, उसने विकास के सारे काम जो रोक दिए हैं यह बड़ा इशू रहेगा। चुनाव को लेकर तैयारी पूरी हैं। लगातार बैठकें हो रही हैं। अच्छी तैयारी के साथ काम चल रहा है। सफलता जरूर मिलेगी। समांजस्य को ठीक करने के लिए सारे चुनाव प्रभारी तय किए गए हैं। सभी प्रभारी एक्टिव हैं वह इसे लेकर काम कर रहे हैं। बड़े नेताओं की फूट को दूर किया जाएगा।

डॉ. रमन सिहं के इस बयान से साफ हो गया है कि दुर्ग जिले में भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं की खींचतान की जो सच्चाई लोगों के के जुबान में थी वह अब पार्टी के बड़े नेता भी स्वीकार करने लगे हैं। इससे साफ है कि जब तक दुर्ग जिले में भाजपा के चारों धड़ों (सरोज पांडेय ग्रुप, प्रेम प्रकाश पांडेय ग्रुप, विद्यारतन भसीन ग्रुप और विजय बघेल ग्रुप) को एक नहीं किया जाता दुर्ग में भाजपा के लिए जीत का परचम लहराना संभव नहीं होगा। भाजपा ने दुर्ग जिले के किसी भी नेता को 15 में से एक भी निकाय चुनाव की कमान नहीं सौंपी है। इसका कारण उनकी आपसी खींचतान और निकाय चुनाव में खास रुचि न दिखाना है। इससे पार्षद टिकट की दावेदारी कर रहे नेताओं में भी असमंजस की स्थित है। वह जिस भी बड़े नेता से टिकट के लिए गुहार लगा रहे हैं वह अपने हाथ खड़े कर दे रहा है।

एक दिन पहले ही भाजपा के बड़े नेताओं वैशाली नगर मंडल की बैठक बुलाकर पार्षद के दावेदारों से चर्चा की थी। बैठक में वैशाली नगर विधायक विद्यारतन भसीन भाषण दे रहे थे कि अचानक राज्य सभा सांसद के भाई राकेश पांडेय जोरदार एंट्री से विवाद खड़ा हो गया। राकेश पांडेय और सरोज पांडेय जिंदाबाद के नारों से पूरा हाल गूंज उठा। इसके बाद विधायक अपना भाषण अधूरा छोड़कर बैठ गए। सांसद विजय बघेल को पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को मितव्ययिता का पाठ पढ़ाना पड़ा। इसके बाद भी राकेश पांडेय ने खुद को जिंदाबाद हकदार बताकर विवाद को और बढ़ा दिया।

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