बस्तर दशहरा: काछन गादी रस्म का हुआ ऐतिहासिक आयोजन, जानिए इस रस्म का महत्व
बस्तर दशहरा: काछन गादी रस्म का हुआ ऐतिहासिक आयोजन, जानिए इस रस्म का महत्व

बस्तर के ऐतिहासिक दशहरा उत्सव का एक महत्वपूर्ण अंग, काछन गादी रस्म, धूमधाम से संपन्न हुई। इस आयोजन में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव शामिल हुए। उन्होंने इस रस्म के महत्व को दर्शाते हुए अपने X (पूर्व में Twitter) पर लिखा, “भंगाराम चौक स्थित काछनगुड़ी में इस विधान में मान्यता अनुसार काछन देवी मिरगान (पनिका)समाज के कुंवारी कन्या पर अवतरित होती हैं।

उन्होंने आगे बताया, “जहां एक वीर से युद्व करने के बाद बेल के कांटे के झूलने पर आरूढ़ होगी हैं। देवी से पर्व को निर्विघ्न सम्पन्न करने हेतु पुजारी आशीर्वाद स्वरूप फल प्राप्त करते हैंी काछनदेवी आशीर्वाद के रूप में बस्तर दशहरा पर्व प्रांरभ करने की अनुमति प्रदान करती हैं।”

विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा के महत्वपूर्ण विधान काछनगादी का पूरे विधि-विधान व परंपरा के साथ निर्वहन हुआ। यह रस्म बस्तर के लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें बस्तर दशहरा उत्सव का आशीर्वाद प्रदान करती है। इस रस्म का आयोजन सदियों से चला आ रहा है और यह बस्तर की संस्कृति और परंपरा का एक अभिन्न हिस्सा है।

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आज के समय में, बस्तर दशहरा केवल छत्तीसगढ़ में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में मनाया जाता है। इस उत्सव में दुनिया भर से पर्यटक आते हैं और इस रस्म में शामिल होने का मौका पाते हैं।

काछन गादी रस्म का महत्व
काछन गादी रस्म बस्तर दशहरा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह रस्म दशहरा उत्सव को निर्विघ्न सम्पन्न कराने के लिए काछन देवी से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आयोजित की जाती है। इस रस्म के दौरान, कुंवारी कन्याओं द्वारा काछन देवी का अवतरण किया जाता है, जो एक बेल के कांटे के झूलने पर आरूढ़ होती हैं। देवी से आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद, पर्व को निर्विघ्न रूप से सम्पन्न किया जाता है।

इस रस्म का आयोजन बस्तर की समृद्ध संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है। यह रस्म बस्तर के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है।