बिलासपुर, छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने एक बार फिर न्याय की मिसाल कायम करते हुए एक विधवा महिला को उनके मृत पति के बकाया वेतन का भुगतान दिलाने का आदेश दिया है। महासमुंद निवासी शाहिदा कुरैशी को उनके पति शमीम अख्तर कुरैशी की सेवानिवृत्ति के बाद से ही उनके सेवाकाल के अवकाश नकदीकरण की राशि नहीं मिल पा रही थी।
न्यायमूर्ति सचिन सिंह राजपूत की पीठ ने शाहिदा कुरैशी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जल संसाधन विभाग के सचिव और कार्यपालन अभियंता, भारी संयंत्र संभाग, रायपुर को निर्देश दिया है कि वे शाहिदा कुरैशी को उनके पति के बकाया वेतन का भुगतान 60 दिनों के भीतर करें।
सेवानिवृत्ति के बाद भी नहीं मिला था हक
शाहिदा कुरैशी ने अपने अधिवक्ता अब्दुल वहाब खान के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया था कि उनके पति शमीम अख्तर कुरैशी जल संसाधन विभाग, रायपुर में कार्यपालन अभियंता के पद पर कार्यरत थे। वर्ष 2010 में सेवानिवृत्ति के बाद से ही उन्हें उनके सेवाकाल के अवकाश नकदीकरण की राशि नहीं दी गई थी। शमीम अख्तर कुरैशी ने विभाग के चक्कर काटे, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली और इसी बीच उनका निधन हो गया।
पति की मृत्यु के बाद शाहिदा कुरैशी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया जहाँ से उन्हें आखिरकार न्याय मिला।